इस्तीफा देने से पहले... / कमलनाथ बोले - मैं चाहता था कांग्रेस ‘महल’ में न जाए, ‘महल’ कांग्रेस में आए

कार्यवाहक मुख्यमंत्री कमलनाथ ने इस्तीफा देने से पहले सरकार गिराने के लिए जिम्मेदार ज्योतिरादित्य सिंधिया का नाम लिए बगैर कहा कि मैं चाहता था कि कांग्रेस महल में नहीं बल्कि महल कांग्रेस में आए ताकि जनता शक्तिशाली बने। जनता द्वारा नकारे गए महत्वाकांक्षी, सत्तालोलुप ‘महाराज’ और उनके द्वारा प्रोत्साहित 22 लोभियों के साथ मिलकर भाजपा ने खेल रचकर लोकतांत्रिक मूल्यों की हत्या की, जिसकी सच्चाई सबके सामने आएगी। नाथ शुक्रवार को सीएम हाउस में मीडिया से चर्चा कर रहे थे। उन्होंने कहा कि जनता के साथ धोखा करने वाले इन लोभियों को जनता कभी माफ नहीं करेगी।



नाथ ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि वह कितनी ही साजिश रच ले, विकास के पथ पर हम सदैव अग्रसर रहेंगे। कर्तव्य के पथ पर हम ना रुकेंगे, न झुकेंगे। उन्होंने कहा कि भाजपा सोचती है कि वह मेरे प्रदेश को हराकर खुद जीत जाएंगे, लेकिन मैं साफ कर देना चाहता हूं कि वे न तो मेरे प्रदेश को हरा सकते हैं, न मेरे हौसले को। नाथ ने कहा कि मैं तो प्रदेश की तस्वीर बदलने चला था। मैंने 40 साल के राजनीतिक जीवन में हमेशा विकास में विश्वास रखा और भाजपा ने विश्वासघात में। उन्होंने कहा कि 15 माह  के कार्यकाल में हर नागरिक के हित में जनहितैषी कार्य किए जो भाजपा को रास नहीं आए। उन्होंने सिलसिलेवार जनता के हित में लिए गए निर्णयों की जानकारी दी।


नेता प्रतिपक्ष की कतार में कई कांग्रेस नेता


कमलनाथ शनिवार को दिल्ली जाएंगे। वे पार्टी आलाकमान समेत पार्टी के अन्य नेताओं से मुलाकात करेंगे। इधर, शुक्रवार सुबह सीएम हाउस में हुई विधायक दल की बैठक में नाथ ने जब मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने की बात कही तो गोपाल सिंह चौहान, प्रद्युम्न सिंह लोधी समेत आधा दर्जन विधायकों की आंखें नम हो गई। सज्जन सिंह वर्मा ने कहा कि हमने नाथ से आग्रह किया है कि वे प्रदेश अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष की भूमिका निभाएं। इधर, सूत्रों के अनुसार नेता प्रतिपक्ष के नाम को लेकर एनपी प्रजापति, उमंग सिंघार, बाला बच्चन और जीतू पटवारी के नाम सामने आए हैं।



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